गृह सारे मदद करना चाहते हैं मेरी,
पर उन सब के स्वामी हैं देव शनि।
हर वो काम जिनमें मैं माहिर हूँ,
सारी खूबियाँ जो बन सकती है पहचान मेरी,
नहीं होने देते कामयाब मुझे,
क्या पता? क्या बैर है शनि देव को मुझसे?
हे शनिदेव!
दया करो मेरी किस्मत पे,
जब चाहते नहीं की मैं आगे बढूँ,
क्यूँ दी थी खूबियाँ मुझमें?
ऐसा क्या करूँ की आप खुश रहो?
मुझपर अपनी करुना बरसो।
मैं ज्यादा की आशा नहीं करती,
नाही महान बनना चाहती हूँ।
बस इतनी कृपा करो मुझपे,
मेरे गीत कविताओं को पहचान मिल जाए।
12.20 am,
14 sep, 2010.
भगवान एक दिन आपको बहुत बड़ा गीतकार बनाये लेकिन उस दी भी आप शनि को याद रखना
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