मेरी जैसी ख़ुशी हर कोई पाए,
शोहरत और प्यार का एक साथ आना,
अगर सपना है तो मुझे मत जगाना.
यह दिन मेरी ज़िंदगी का,
नहीं भुलाना चाहती कभी,
यह कविता आज मैंने इसीलिए लिखी,
ताकि दिन यह इतिहास बन जाये, ज़िंदगी की मेरी.
अब तक अधूरी थी,
एक अनजाने भविष्य को जी रही थी,
अधूरी खुशियाँ थी सारी,
पर, अब मैं संपूर्ण हूँ, नहीं हूँ अधूरी.
3.15 am
19th nov 2010.
सम्पूर्णता और अपूर्णता अन्योन्याश्रयित हैं.
ReplyDeleteसुन्दर भाव