उस दिन मैन बहुत खुश थी,
बचपन के दोस्तों से जो मिली थी.
श्याम को हम मिले,
और साथ् में खूब हल्ला गुल्ला भी किए.
रात बहुत हो चुकी थी
हम सबको भूख लगी थी जोर कि.
दुकानें नही थी कोइ भी खुली.
तो चल दिए हम रेल्वे स्टेशन को
खाने गरमा- गरम इडली.
वापस लौटते वक्त, थके थे हम सब,
सन्नाटा सा था गाडी के अन्दर.
खुश तो थे ही हम
दूस्रों का पता नही,
मैन तो चाहती थी, पल वो जाए थम.
4.44 am
10th sep 2011
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