Saturday, August 20, 2011

यह तो थे गीत के बोल,

आज एक गीत सुन रही थी,
गायक जता रह था ज़रूरत एक साथि कि.
गीत के बोलों में बखान था,
उदास होती है ज़िन्देगी,
बिना किसी साथी के कोइ.

गायक को इन्तजार  है एक साथी के,
जो कर रही है गायक का इन्तजार कई युगों से.
जिसकी ज़िन्देगी शुरु हो गायक से,
और वो जीये सिर्फ गायक के लिए.

यह तो थे गीत के बोल,
पर कहाँ मिल पाती है ज़िन्देगी में,
इन सब बतों को मोल? 

3:33 am,
18th aug 2011



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