धुनो कि बहर थी,
बौचार थी चारो ओर तालियों की.
एक बडा सा मंच था,
दर्शकों से माहोल था भरा.
समा था अन्ताक्षरी का,
हम तीन, नही थे कम, किसी से वहाँ .
शाम जैसे- जैसे आगे बडी..........
जीत हमारी ओर आती गई.
वो पल बहुत हसीन था.
जब विजेता हमें घोषित किया गया.
6:32 am
29th sep 2011.
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