Friday, February 10, 2012

किसी को प्यार करने से कतराता है.

कहतें हैं कायर रोतें हैं.
मैं तो रोती हूँ तब,
अपने ही मुझे समझते नहीं हैं जब.

जिनके लिए दुनिया भुलाया,
उन सब ने मुझे सबसे ज्यादा रुलाया.
अब तो दिल मेरा डरा हुआ है,
किसी को प्यार करने से कतराता है.

इस डर ने किया है इतना मजबूर,
अब तो रहती हूँ मैं दोस्तों से भी दूर.
लोगों से दूरी रखती हूँ,
किताबों की दुनिया में खोई रहती हूँ,
संगीत का मुझे सहारा है,
खुशियाँ मिलेगी मुझे, ईश्वर पर भरोसा है.

7:45 pm
10 feb 2012

1 comment:

  1. सुंदर रचना.... आपकी लेखनी कि यही ख़ास बात है कि आप कि रचना बाँध लेती है

    ReplyDelete