हमारे वंश कि मैं पहली बच्ची,
सबकी मैं थि बडी प्यारी.
दादाजी मुझे इतना प्यार करते,
कोइ कुछ भी घर पर तोड़ता,
दादाजी के डर से मेरा नाम लेते.
छः साल तक, मैने सबको सताया,
मेरी ज़िद को पूरा करने के लिए,
हर कोइ तैयार रहता.
बुआ मेरी मुझसे दिन भर खेलती.
चाचाओ के साथ् सैकिल पर घुम्ती.
बचपन मेरा गांव में बीता.
सबके प्यार ने मुझे सिर्फ ज़िद्दी बनाया.
मैं उस प्यार कि मैं इज्ज़त करती हूँ,
जो मैने सबसे पाया.
सच्चाई तो यही है,
इतना सारा प्यार बचपन में,
बच्चों को सिर्फ बिगड़ता है.
5.05 am
2nd nov 2011
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