Saturday, August 20, 2011

काश, थोडा और पढ पाती

विज्ञान, मेरा प्यारा विषय,
नही दे पाई मै  इसको ज्यादा समय.
कई सालों कि मेहनेत करनी होती है,
कई सालों तक पढ़ते रहन पड़ता है.
जार सा  धयान इधर उधर भटका,
तो पाठ समझ में, बडी मुश्किल से आता.

बचपन में डरती थी, भौतिक और रसायन विज्ञान से,
सिर्फ जीव विज्ञान समझ में आता था मुझे.
जब बारह्वी कक्षा में आई ,
जीव विज्ञान के साथ-साथ् रसायन  विज्ञान भी भाने  लगी.

आगे की पांच सालों की पढाई में,
सारे विज्ञान के हि विषय थे मेरे.
मेरी सबसे उची सिक्षा,
खतम हुइ पर्यावरण के विषय में.
आज भी ऐसा लगता है,
काश, थोडा  और पढ पाती विज्ञान के बारे में.

4.39 am,
20th aug 2011

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