Tuesday, April 27, 2010

मेरी पहचान उससे बचपन से है.

देखा है इस चेहरे को कई बार,चाहा है मैंने इसे बेशुमार,
प्यारी लगती है मुझे इसकी आखें और उनमें बसे सपने,
सपने ऐसी ज़िंदगी के जहाँ हर पल कामयाबी चूमे कदम उसके.
इस चेहरे पर दिखती है सदा हसी,जो औरो को देती है सदा ख़ुशी,
पर नहीं जानते लोग ये की, इस हसी के पीछे है कई गम भी.

जानती हूँ मैं इसे बचपन से,प्यार भरा है बहुत सारा इसके दिल में,
इतना जितना, पानी भी नहीं सागर में.
दिल में छुपा के सारा गम, प्यार करेगी अपनों से.
नहीं देखा किसीने इसको रोते,है वह चुलबुली बहुत, सुना है लोगों को कहते,
पर मुझे पता है, गुजारती है ये अपनी रातें रोते रोते.

ईश्वर पर है भरोसा उसे, डरती नहीं है कभी मेहनत से.
भरोसा है उसे अपनी पूजा पर, मिलती है मन को शांति उसे इसीमें.

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