Sunday, April 25, 2010

काले में है सुन्दरता बसी

काले में है सुन्दरता बसी, तभी तो रात कलि है,
दिन भर के थकान के बाद करते हम रात का इंतज़ार हैं.
काली होती है मधुर बहुत तभी तो कोएल काली है,
साल भर के इंतज़ार के बाद करते हम वसंत का इंतज़ार है.
काली होती घनेरी बहुत तभी तो केसू घनेरे हैं,
अशांत दिमाग को मिलता चैन इसके तले है.
काली होती शक्ति का प्रतीक है, तभी तो माँ काली है,
बड़ी डरावनी है काया उनकी,फिर भी पूजी वह जाती है.
काली बनाती है सुंदर बहुत तभी तो काजल काली है.
जैसे ही लगती है आखों पर, देती उन्हें सुन्दरता है.
काली होती है मोहक बहुत, तभी तो बिंदी काली है,
लगते ही किसी युवती के माथे, खिलता उसका चेहरा है.
4th april 20091.30 am.

1 comment:

  1. काली होती शक्ति का प्रतीक है, तभी तो माँ काली है,
    बड़ी डरावनी है काया उनकी,फिर भी पूजी वह जाती है.
    काली बनाती है सुंदर बहुत तभी तो काजल काली है.

    खासकर इन पंक्तियों ने रचना को एक अलग ही ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है शब्द नहीं हैं इनकी तारीफ के लिए मेरे पास...बहुत सुन्दर..

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