Sunday, August 8, 2010

जब भी प्यार जताया, वो मुझसे छूट गया.

किसे फर्क पड़ता है? किसी को मैं कितना भी चाहूँ?
किस्मत में मेरे उतना ही प्यार है,जितने की मैं हकदार हूँ.
इस जनम में तो सबसे प्यार किया,
जिसको जितनी करनी थी, उससे भी ज्यादा उसे प्यार दिया.
जिसके लिए दुनिया भुलाने चली थी,
उसने मुझे कब का भुला दिया.

फिर एक दिन-अच्छी इंसान समझ, किसी को दोस्त बनाया,
उसने अचानक बिना कुछ कहे, मुझसे बोलना बंद कर दिया.
अब तो डर लगता है, प्यार दिखाने में अपनों से,
क्यूंकि जब भी प्यार जताया, वो मुझसे छूट गया.
2.56 pm
8th aug 2010.

2 comments:

  1. अब तो डर लगता है, प्यार दिखाने में अपनों से,
    क्यूंकि जब भी प्यार जताया, वो मुझसे छूट गया.

    बहुत अच्‍छे भाव !!

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  2. अब तो डर लगता है, प्यार दिखाने में अपनों से,
    क्यूंकि जब भी प्यार जताया, वो मुझसे छूट गया.
    nice feelings arpita, touching lines. it reminds me one of my old creation

    muntzir tere ahesaanon ka
    kaise banoo e ajnabee
    apanon se mile zakhm to
    ponchh lene de mujhe.



    do keep on writting

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