किसे फर्क पड़ता है? किसी को मैं कितना भी चाहूँ?
किस्मत में मेरे उतना ही प्यार है,जितने की मैं हकदार हूँ.
इस जनम में तो सबसे प्यार किया,
जिसको जितनी करनी थी, उससे भी ज्यादा उसे प्यार दिया.
जिसके लिए दुनिया भुलाने चली थी,
उसने मुझे कब का भुला दिया.
फिर एक दिन-अच्छी इंसान समझ, किसी को दोस्त बनाया,
उसने अचानक बिना कुछ कहे, मुझसे बोलना बंद कर दिया.
अब तो डर लगता है, प्यार दिखाने में अपनों से,
क्यूंकि जब भी प्यार जताया, वो मुझसे छूट गया.
2.56 pm
8th aug 2010.
अब तो डर लगता है, प्यार दिखाने में अपनों से,
ReplyDeleteक्यूंकि जब भी प्यार जताया, वो मुझसे छूट गया.
बहुत अच्छे भाव !!
अब तो डर लगता है, प्यार दिखाने में अपनों से,
ReplyDeleteक्यूंकि जब भी प्यार जताया, वो मुझसे छूट गया.
nice feelings arpita, touching lines. it reminds me one of my old creation
muntzir tere ahesaanon ka
kaise banoo e ajnabee
apanon se mile zakhm to
ponchh lene de mujhe.
do keep on writting