Saturday, August 21, 2010

जब हम होंगे एक।

नज़रें झुक जाती है आने से तेरे,

धारक उठता है दिल ख्यालों से तेरे।

चाहती हूँ मैं पास तुम्हे पल भर के लिए,

वेरना खाबों में आ जाना तसल्ली के लिए।

पैदा की है दूरियां हम्हारे बीच ज़माने ने,

यकीन है आओगे तुम, बहारों के मुरझाने से पहले।

हैं जो रस्म , सास के सब झूठे,

बनाये गए हैं ये सब, हमारे जैसे मोहब्बत करने वालो के लिए।

हालत का तुम्हारे इल्म है मुझे,

मैं भी तो ताराप रही हूँ यहाँ पर तुम्हारे जैसे।

दिन वो दूर नहीं जब होंगे हम एक,

कायनात पूरी मुस्कुरायेगी, हमारी तरफ देख।

बगीचों में आएँगी बहारें,

गायेंगे गीत पाहाड़ो के झरने,

उस दिन जब हम होंगे एक।

12.00 am, 11 feb 2000.

1 comment:

  1. सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
    आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.

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