छायी क्यूँ है हर तरफ गरीबी?
क्यूँ है चारो ओर भुखमरी?
है कैसी यह औधिगिक क्रांति?
जो दे ना सके लोगों को, दो वक़्त की रोटी?
कभी सूखा परना,
तो कहीं बिन मौसम बारिश होना,
कैसी यह आर्थिक विकासका सपना?
जो हम लोगों ने देखा?
कहीं है सूखा और गर्मी,
तो कहीं पे बाड का पानी,
बहा ले जाती है साल भर की मेहनत।
बचना है अगर इस बर्बादी से तो,
करना है पर्यावरण संरक्षण.
3.10 am, 26th nov 2009.
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