Monday, August 16, 2010

निम्मो मेरे अलमारी में है दिनभर लटकती।

यह सारी गुडिया मेरी ,
थी यह सब मेरी बचपन की सहेली।
बातें करती थी मैं इनके साथ,
हैं इन सबके नाम भी।

मेरी सबसे पहली गुडिया ,
नाम है उसका डिम्पी,
दूसरी गुडिया जो मैंने खरीदी,
नाम रखा उसका मिम्मी।
मेरे पास है निम्मो ,
जो है एक मछली,
निम्मो मेरे अलमारी में है दिनभर लटकती।
डिम्पी रहती है दिन्धर बैठी, पास उसके है मिम्मी भी।

बचपन याद आ जाता है, देखकर इन गुड़ियों को,
दिन थे बड़े ही मस्ती के सारे वो।
नहीं थी नौकरी की चिंता,
नाही सुनने में आता था, कोई धोखे बजी का किस्सा।
दोस्त सब तब साथ होते थे,
जो आज बस याद आतें हैं।
00.10 am, 18th nov 2009.

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