Friday, July 30, 2010

नमूना है हम्हारी नादानी का.......

ऐसा क्यूँ होता है, दौड़ते हम उसी के पीछे,
जो कभी होता नहीं हम्हारे लिए.
सपने सजाते हैं उसी से, जिसको कोई ज़रुरत नहीं पड़ती हमसे.
तम्मना करते हैं पाने का उसे,
जो कभी बना नहीं था हम्हारे लिए.
प्यारा होता है वो सबसे ज्यादा,
जिसको कभी प्यार नहीं होता हमसे.
भाता नहीं दुनिया मैं और कोई उसके सिवा,
जिनको खबर भी नहीं हम्हारे इस एहसास का.
दिन रात बिताते हैं इसी सोच में,
के एक दिन उनको इल्म होगी हम्हारे मोहब्बत का,
आयेंगे लौटकर वो जब महसूस होगा उनको हम्हारी तड़प का.
एहसास होगा उनको, ज़माने में कोई नहीं उन्हें हमसे ज्यादा चाहने वाला.
कहीं ऐसा तो नहीं? यह नमूना है हम्हारी नादानी का?
1st november 2008