Sunday, February 7, 2010

सागर रूपी मैं.

तुम बहुत विशाल हो, अनंत हो,
बताओ कहाँ से आई हो ?
तुम्हे देखती हूँ तो मुझे मैं याद आती हूँ ,
खुद पे गुरूर करती हूँ .

तुम्हारे विशालता जैसा दिल है मेरा ,
सागर रुपी दिल में बहुत सारा प्यार है भरा .
जिस तरह पास तुम्हारे आके मिलता है सुकून ,
मेरे में छुपी प्यार ,को मुझे समझने वाले करते हैं महसूस .

तुम्हारे प्राण दाई अनंत गहराई में बस्ती है लाखों जीवन ,
मैंने भी संजोये हैं दिल की गहराई में एक सुन्दर मधुवन .
तुम एक अटूट हिस्सा हो इस धरती की ,
तुम से शुरुआत हुई है जीवन की .

पता है तुम कभी कुछ नहीं कहती ,
सिर्फ अपना प्यार लुटाने का धर्म निभाती .
मुझे पता है मैं भी कहीं हिस्सा हूँ तुम्हारा ,
तभी तो जीवन से प्यार है बहुत सारा .
चाहे मुझे कुछ मिले ना मिले इस जीवन से ,
पर जाते वक़्त चोर जाउंगी यादें सभी पहचाने वालों में .
10.30 pm
5th Feb 2010.

सूरज को क्या पड़ी है किसीके दुखी होने से?

उगते हुए सूरज ने एक नया सवेरा दिया है मुझे,
ज़िंदगी को एक और नया दिन,
ये भी तो सच है, की घट चूका है जीवन से,
दिन गया है एक और छीन.

ऐसा नहीं है की खुशियाँ नहीं आती है मुझे,
पर नहीं ठैरती है वो ख़ुशी हमेशा के लिए.
गमो के पल लम्बे लगते हैं,
पर सूरज को क्या पड़ी है इससे?

पिछले शनिवार को मैं खुश थी,
दिल खोल कर हसी थी,
पता है तुम सुन नहीं रहे थे मुझे,
पर फिर भी मैं बोल रही थी,
क्यूँ की मैं उस पल को जी रही थी.

कितनी जल्दी बीत गया वो पल,
अभी तो आये थे चले जाओगे तुम कल.
खुशियाँ आती है देर से,और चली जाती है पलक झपकते.

पर सूरज को क्या पड़ी है किसीके दुखी होने से?
5.00 am
5th Feb 2010.

नहीं भाती मुझे पल भर की ख़ुशी.

नहीं भाती मुझे पल भर की ख़ुशी,
जो दिलाती हो कुछ महीनो की ख्याति.
देना मुझे भगवान् उतना ही,
किस्मत में है जितनी मेरी.

कभी इतनी ख़ुशी देते हो,
की डर लगता है मुझको.
पता नहीं किस पल छीन लो,
लगता है मेरे साथ आप कभी खेलते हो.

मेरी प्रार्थना हमेशा येही रही है,
देना उतना ही जितना मेरे लिए है,
कोई लोभ नहीं है मुझे ज्यादा की,
जो भी दिया है, वापस उसे कृपया लेना नहीं.

मुझे हर बार आपने खुद से दूर रखा था,
पता है कई लोग मुझसे भी दूर थे,
अगर इसी दूरी को बनाये रखना था तो?
पल भर के लिए पास क्यूँ बुलाया था?
5.30 pm
27th Jan 2010.

विशवास चमत्कार का, मुझे आप पर है.

कहाँ थी मेरे विशवास में कमी,
की आपने मुझे यह दिन दिखाई?
मैंने हर बाधा को परीक्षा माना,
बिना किसी शिकायत किए उसे अपनाया.

मेरी हर जीत का श्रय जाता है आपको,
फिर हार पर क्यूँ दूं दोष किसी और को?
मेरी सुबह शाम सब आप हो,
फिर क्यूँ दोष दूं हार पर किस्मत को?

गृह तारे अगर किस्मत बनाते हैं,
तो क्यूँ पूजता है संसार ईश्वर को?
पत्थरों का पहनना अगर पलट दे हार जीत में,
तो कोई क्यूँ करे विशवास ईश्वर की भक्ति में?
नहीं जानती कौन सा गृह मुझे हार दिखता है?
पर विशवास चमत्कार का, मुझे आप पर है.
7.10 pm
19th jan, 2010.

मैं कर्क राशि की हूँ.

कर्क है मेरी राशि,
मुझमें हैं बहुत सारी कमी.
बहुत ही ज्यादा भावुक हूँ मैं,
सभी मेरे दोस्त नहीं हो सकतें हैं.

मुझे पसंद है अपना गम छुपाना,
हमेशा दूसरों को हसना,
रोती मैं अकेले में हूँ,
अपना गम किसी को पता नहीं चलने देती हूँ.

मुझे कभी अकेलापन पसंद है,
तब मैं कविता लिखती हूँ,
संगीत मेरे रगों में है,
और मैं अच्छा गति भी हूँ.

मेरी अच्छी सहेली ने मुझे कहा,
बहार चलो और देखो ये दुनिया,
करो मत किसी से इतना प्यार ज्यादा,
की उसकी ना से लगे तुम्हे सदमा.

उसने ये भी कहा,
जाये भाड़ में ये दुनिया,
करो वाही जो तुम्हारा दिल कहे,
रुलाती रहेगी ये समाज वेरना.

आजकल मैं बहुत खुश हूँ,
ईश्वर पर विश्वास है,
बहुत सारी कवितायेँ लिखती हूँ,
एक-एक कर मेरा सपना भी सच हो रहा है.
4.30 pm,
29 dec 2009