छोड दी सारी उम्मीद मैने,
न रही कोइ आशा इस जीवन से.
मैं तो जी रही हूँ आपनो कि खुशी के लिए,
अब अगर मैन मर भी जाऊ,
न होगी कोइ शिकायत इश्वर से.
फिर कभी खुद को धिक्कर्त्ति हूँ,
मैं कयारों कि तरह क्युं सोच रही हूँ?
मुझमें है असीम ताकत,
जो पुरी कर सकती है मेरी हर चाहत.
मैं तो कभी न थी हारर्ने वलों में,
मेरी हर हार ने बदाया है मुझे जीत कि राह में.
क्युं बदल रही है अचानक सोच मेरी?
शायद मुझे ज़रूरत है एक बदलाव की.
9.15 pm
27th nov 2011.
न रही कोइ आशा इस जीवन से.
मैं तो जी रही हूँ आपनो कि खुशी के लिए,
अब अगर मैन मर भी जाऊ,
न होगी कोइ शिकायत इश्वर से.
फिर कभी खुद को धिक्कर्त्ति हूँ,
मैं कयारों कि तरह क्युं सोच रही हूँ?
मुझमें है असीम ताकत,
जो पुरी कर सकती है मेरी हर चाहत.
मैं तो कभी न थी हारर्ने वलों में,
मेरी हर हार ने बदाया है मुझे जीत कि राह में.
क्युं बदल रही है अचानक सोच मेरी?
शायद मुझे ज़रूरत है एक बदलाव की.
9.15 pm
27th nov 2011.