Saturday, September 4, 2010

जंगल के बीचो बीच एक झील है।

विसखापत्नाम में एक जंगल है,

उस जंगल के बीचो बीच एक झील है।

पूरी भरी रहती है पानी से, यह बरसातों में।

वन्य प्राणी इस झील के पानी से है प्यास बुझाते।

बहुतो को पता है, इस जगह के बारे में,

दुनिया को काम होता है सारा अट्टालिकाओं से।

दो दिन जब हफ्ते में मिलती है छुट्टी,

बिताते है दिन, आधुनिक बाजारों में,

रातों को नाच-गा के करतें है मस्ती।

मैंने सुना है लोगों को यह कहते,

नहीं है इस शहर में कोई अच्छी जगह घूमने के लिए,

नहीं देखा उन्होंने जंगले पर्वत और झील,

जो फैली हुई है यहाँ, कई-कई मील।

2.28am, 28th aug 2010.

कुछ तो ज़रूर है मुझमें ख़ास,

अगर मैं घमंडी होती,

तो मेरे किस बात पर घमंड करती?

कुछ तो ज़रूर है मुझमें ख़ास,

जिस पर हो मुझे नाज़।

सबसे पहले नाज है मुझे मेरी आवाज़ पर,

सभी तारीफ करते हैं, मेरा गाना सुनकर।

कर लेती हूँ मैं थोड़ी बहुत चित्रकारी,

और सहेली की शादी में,

लगाती हूँ, उनके हाथों में मेहँदी।

मुझे सिलाई कढ़ाई में भी रूचि है,

पर उसके लिए मेरे पास वक़्त नहीं है।

एक बार तीन दिन की छुट्टी में,

सीले थे घर के परदे मैंने।

अच्छे लोगों की मैं दोस्त हूँ,

बुरे लोगों से मैं दूर रहती हूँ।

इसके अलावा मैं बहुत मस्ती करती हूँ,

खुद चाहे दुखी रहूँ, दूसरों को हसती हूँ।

3.30 am, 3rd sept 2010.

दिल की बात मानु? या दिमाग की?

मेरे अशांत मन को शांति की इच्छा है,
ऐसा क्या करूँ? की आवाज़ उठा सकूँ अन्य के खिलाफ मैं?
मन कहता है जो हो रहा, वो अच्छा है,
दिमाग कहता है,-"तुममे लड़ने की हिम्मत नहीं है"।
दिल की बात मानु? या दिमाग की?
ऐसा क्या करूँ, की दिल और दिमाग को मिले असीम शांती?

5.30 am,26th aug 2010.