Saturday, August 28, 2010

सबसे ज्यादा पसंद है मुझे गेंदे का झाड,

मैं आज कल बहुत काम कर रही हूँ,
इतना काम जिससे मैं थक जाती हूँ
नींद जो मुझे बहुत कम आती है,
आज कल वो भी आती है खूब

दफ्तर से जाओ तो घर का काम,
बहुत कम मिल रहा है मुझे आराम
शनिवार को होता है बाज़ार जाना

मैंने फूलों का बगीचा बनाया है,
चाट के ओप्पर कई तरह के फूल भी खिले हैं
सबसे ज्यादा पसंद है मुझे गेंदे का झाड,
गुलाब का खिलना इन सब के बीच लता है बगीचे में बहार.

Tuesday, August 24, 2010

वह बड़ी मेहेंती है,


मेरी सहेली का जनम दिन है आज,

यह दिन मेरे लिए है खास।

यह कोई त्यौहार नहीं है,

पर मुझे हमेशा रहता यह दिन याद।


वह बड़ी मेहेंती है,

वह जीवन को मजेदार बनाती है।

उसके साथ रहना किसे नापसंद है?

वह तो हमेशा जोशीली, फुर्तीली रहती है।


इस जन्मदिन पर मैं तुम्हे कुछ नहीं दूंगी,

अगर तुम चाहो तो,

बधाइयाँ भी मैं दूँगी नहीं।

मन ही मन येही दुआ करूंगी,

सपने पूरे हो तुम्हारे सभी।

7.30 am 24th aug 2010.

Saturday, August 21, 2010

दुनिया अब बन चुकी है एक गाँव,

बहुत दूर है वो, साथ समंदर पार,
पर बात होती है हमारी हर रात।
दोस्ती हमारी बचपन से है,
हम थे सहपाठी, पढ़ाई की थी हमने साथ-साथ।

श्रेय देती हूँ आविष्कारकों को,
जिन्होंने आविष्कार किया अंतरजाल को।
अब कोई किसी से दूर नहीं,
हम सब पडोसी है, चाहे धरती के किसी भी कोने में हो।

दुनिया अब बन चुकी है एक गाँव,
कोई नहीं है आज किसी से दूर,
सबसे है पहचान हमारी,
जो है कहीं सुदूर।
2.55 am, 2nd dec 2009.

करना है पर्यावरण संरक्षण.

छायी क्यूँ है हर तरफ गरीबी?
क्यूँ है चारो ओर भुखमरी?
है कैसी यह औधिगिक क्रांति?
जो दे ना सके लोगों को, दो वक़्त की रोटी?

कभी सूखा परना,
तो कहीं बिन मौसम बारिश होना,
कैसी यह आर्थिक विकासका सपना?
जो हम लोगों ने देखा?

कहीं है सूखा और गर्मी,
तो कहीं पे बाड का पानी,
बहा ले जाती है साल भर की मेहनत।
बचना है अगर इस बर्बादी से तो,
करना है पर्यावरण संरक्षण.
3.10 am, 26th nov 2009.

जब हम होंगे एक।

नज़रें झुक जाती है आने से तेरे,

धारक उठता है दिल ख्यालों से तेरे।

चाहती हूँ मैं पास तुम्हे पल भर के लिए,

वेरना खाबों में आ जाना तसल्ली के लिए।

पैदा की है दूरियां हम्हारे बीच ज़माने ने,

यकीन है आओगे तुम, बहारों के मुरझाने से पहले।

हैं जो रस्म , सास के सब झूठे,

बनाये गए हैं ये सब, हमारे जैसे मोहब्बत करने वालो के लिए।

हालत का तुम्हारे इल्म है मुझे,

मैं भी तो ताराप रही हूँ यहाँ पर तुम्हारे जैसे।

दिन वो दूर नहीं जब होंगे हम एक,

कायनात पूरी मुस्कुरायेगी, हमारी तरफ देख।

बगीचों में आएँगी बहारें,

गायेंगे गीत पाहाड़ो के झरने,

उस दिन जब हम होंगे एक।

12.00 am, 11 feb 2000.

मैं खाना अच्छा बनाती हूँ

मेरे में एक गुण है,
जिसकी हमेशा मुझे तारीफ मिलती है,
मैं खाना अच्छा बनाती हूँ,
जिसे घर वाले चाव से खाते हैं।

मेरे दोस्त को यकीन नहीं हुआ,
की मैं बना सकती हूँ अच्छा खाना,
जब मैंने उसे बना के खिलाया ,
तो मेरे गुणों की तारीफ करने लगा।

अच्छा पकवान बनाना,
होता है बहुत सारा वक़्त रसोई में बिताना।
मेरे जैसी नौकरी करने वाली महिला के लिए,
बहुत मुश्किल होता है समय निकलना।
1.27am, 19th aug 2010.

भारत का यह सबसे सुंदर हिस्सा है

उत्तर भारत को तब देखा था,
जब मैं पंद्रह साल की थी।
आज मैं दक्षिण भारत में रहती हूँ,
जन्मी मैं पूर्वी भारत में थी।

भारत का पश्चिम अब तक नहीं देखा,
बहुत आमीर लोग रहतें हैं वहां येही है मुझे पता।
पश्चिम भारत को सिर्फ दूरदर्शन पर है देखा,
कभी तो ज़रूर मिलेगा वहां जाने का मौका।

भारत का एक और भाग,
बसा है सुदूर में।
आसाम, अरुणाचल, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम , मेघालय, त्रिपुरा इतय्दी,
साथ बहेनें रहती है इस अंचल में।
भारत का यह सबसे सुंदर हिस्सा है,
वर्षा वनों से भरी यहाँ की वादियाँ हैं।
3.45 am, aug 19,2010.

हल्का सा दर्द हो रहा था कल,

बिलकुल नहीं मन मेरा काम में,
दर्द हो रहा है बहुत मेरे पीठ पे।
हल्का सा दर्द हो रहा था कल,
फ़ैल गया है वो आज पूरे बाएँ हिस्से में।

नहीं कर पा रही हूँ काम कोई,
मैं इस हाथ से,
कंप्यूटर पर कैसे काम करूँ?सिर्फ दाहिने हाथ के भरोसे?
उफ़! कितनी तकलीफ होती है, एक छोटे दर्द से,
पता नहीं कौन सी बीमारी लग गयी है मुझे?

बस एक दर्द ने किया है मुझे बेहाल,
शांत हो गयी है मेरी फुर्तीली चाल।
बहाना धुन्दती हूँ, कामचोरी का मैं,
इस दर्द से आज कल लड़ रही हूँ मैं।
9.50 am aug 2010.

Monday, August 16, 2010

क्या मैं खुश हूँ?

क्या मैं खुश हूँ?

क्यूँ ना यह सवाल मैं अपने दिल से पूछूँ?

एय दिल-

"जिससे मिले भरपूर ख़ुशी, ऐसा मैं क्या करूँ?"

दिल: भुला दो उसे, रुलाया है तुमको जिसने,

भूल जाओ की किया था कभी प्यार किसी से।

था नहीं तुम्हारे असीम प्यार के लायक वो,

जिसके लिए भुला दिया था तुमने खुद को,

खुद के साथ अपनों की ख़ुशी को।

मैं: कहा तो है सही, पर यह काम इतना आसान नहीं,

घाव लगे दिल पे तो भरता आसानी से नहीं।

चाह की भुलादूं सपना समझकर उसे,

पर क्या करूँ ? कई यादें जुडी है उससे।

दिल: समझाओ खुद को, प्यार था वो एक तरफ़ा,

उसने दिल से कभी तुमको नहीं चाह।

रखा था उसने तुम्हे धोखे में,

खेल रहा था वो तुम्हारे जज्बातों से।

मैं: मन की, नहीं था प्यार उसको मुझसे,

पर करती हूँ याद अब भी उससे।

दिया उसने ऐसा घाव,

जो भर नहीं सकता इस जीवन में।

11.00 pm, 12th nov 2009

निम्मो मेरे अलमारी में है दिनभर लटकती।

यह सारी गुडिया मेरी ,
थी यह सब मेरी बचपन की सहेली।
बातें करती थी मैं इनके साथ,
हैं इन सबके नाम भी।

मेरी सबसे पहली गुडिया ,
नाम है उसका डिम्पी,
दूसरी गुडिया जो मैंने खरीदी,
नाम रखा उसका मिम्मी।
मेरे पास है निम्मो ,
जो है एक मछली,
निम्मो मेरे अलमारी में है दिनभर लटकती।
डिम्पी रहती है दिन्धर बैठी, पास उसके है मिम्मी भी।

बचपन याद आ जाता है, देखकर इन गुड़ियों को,
दिन थे बड़े ही मस्ती के सारे वो।
नहीं थी नौकरी की चिंता,
नाही सुनने में आता था, कोई धोखे बजी का किस्सा।
दोस्त सब तब साथ होते थे,
जो आज बस याद आतें हैं।
00.10 am, 18th nov 2009.

Sunday, August 8, 2010

जब भी प्यार जताया, वो मुझसे छूट गया.

किसे फर्क पड़ता है? किसी को मैं कितना भी चाहूँ?
किस्मत में मेरे उतना ही प्यार है,जितने की मैं हकदार हूँ.
इस जनम में तो सबसे प्यार किया,
जिसको जितनी करनी थी, उससे भी ज्यादा उसे प्यार दिया.
जिसके लिए दुनिया भुलाने चली थी,
उसने मुझे कब का भुला दिया.

फिर एक दिन-अच्छी इंसान समझ, किसी को दोस्त बनाया,
उसने अचानक बिना कुछ कहे, मुझसे बोलना बंद कर दिया.
अब तो डर लगता है, प्यार दिखाने में अपनों से,
क्यूंकि जब भी प्यार जताया, वो मुझसे छूट गया.
2.56 pm
8th aug 2010.