गृह सारे मदद करना चाहते हैं मेरी,
पर उन सब के स्वामी हैं देव शनि।
हर वो काम जिनमें मैं माहिर हूँ,
सारी खूबियाँ जो बन सकती है पहचान मेरी,
नहीं होने देते कामयाब मुझे,
क्या पता? क्या बैर है शनि देव को मुझसे?
हे शनिदेव!
दया करो मेरी किस्मत पे,
जब चाहते नहीं की मैं आगे बढूँ,
क्यूँ दी थी खूबियाँ मुझमें?
ऐसा क्या करूँ की आप खुश रहो?
मुझपर अपनी करुना बरसो।
मैं ज्यादा की आशा नहीं करती,
नाही महान बनना चाहती हूँ।
बस इतनी कृपा करो मुझपे,
मेरे गीत कविताओं को पहचान मिल जाए।
12.20 am,
14 sep, 2010.
Saturday, October 23, 2010
मुझे तो हर अच्छा इंसान भाता है,
जब रंग हमारे खून का एक है,
तो हम भिन्न जाती के क्यूँ हैं?
नाक नक्श हमारे एक जैसे,
तो हम अलग जाती के हुए कैसे?
मुझे तो हर अच्छा इंसान भाता है,
उनकी अच्छी आदतें मेरे दिन को छोटा है,
इनमें से कुछ ऐसे भी हैं,
जिनसे ज़िंदगी भर का मेरा नाता है।
किसी को भाई बनाया तो बहेन किसीको,
बहुत कम मिलतें है अच्छे लोक सबको।
अगर जाती भेद अहम् है,
तो पश्चमी देश इसे क्यूँ नहीं मानतें?
हमारा देश इसे इतना मानता है,
इस खोकली प्रथा के लिए,
माता-पिता अपने संतान की जान भी ले सकतें हैं।
2.30 am, 31 aug 2010
तो हम भिन्न जाती के क्यूँ हैं?
नाक नक्श हमारे एक जैसे,
तो हम अलग जाती के हुए कैसे?
मुझे तो हर अच्छा इंसान भाता है,
उनकी अच्छी आदतें मेरे दिन को छोटा है,
इनमें से कुछ ऐसे भी हैं,
जिनसे ज़िंदगी भर का मेरा नाता है।
किसी को भाई बनाया तो बहेन किसीको,
बहुत कम मिलतें है अच्छे लोक सबको।
अगर जाती भेद अहम् है,
तो पश्चमी देश इसे क्यूँ नहीं मानतें?
हमारा देश इसे इतना मानता है,
इस खोकली प्रथा के लिए,
माता-पिता अपने संतान की जान भी ले सकतें हैं।
2.30 am, 31 aug 2010
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