जब रंग हमारे खून का एक है,
तो हम भिन्न जाती के क्यूँ हैं?
नाक नक्श हमारे एक जैसे,
तो हम अलग जाती के हुए कैसे?
मुझे तो हर अच्छा इंसान भाता है,
उनकी अच्छी आदतें मेरे दिन को छोटा है,
इनमें से कुछ ऐसे भी हैं,
जिनसे ज़िंदगी भर का मेरा नाता है।
किसी को भाई बनाया तो बहेन किसीको,
बहुत कम मिलतें है अच्छे लोक सबको।
अगर जाती भेद अहम् है,
तो पश्चमी देश इसे क्यूँ नहीं मानतें?
हमारा देश इसे इतना मानता है,
इस खोकली प्रथा के लिए,
माता-पिता अपने संतान की जान भी ले सकतें हैं।
2.30 am, 31 aug 2010
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