Saturday, September 4, 2010

कुछ तो ज़रूर है मुझमें ख़ास,

अगर मैं घमंडी होती,

तो मेरे किस बात पर घमंड करती?

कुछ तो ज़रूर है मुझमें ख़ास,

जिस पर हो मुझे नाज़।

सबसे पहले नाज है मुझे मेरी आवाज़ पर,

सभी तारीफ करते हैं, मेरा गाना सुनकर।

कर लेती हूँ मैं थोड़ी बहुत चित्रकारी,

और सहेली की शादी में,

लगाती हूँ, उनके हाथों में मेहँदी।

मुझे सिलाई कढ़ाई में भी रूचि है,

पर उसके लिए मेरे पास वक़्त नहीं है।

एक बार तीन दिन की छुट्टी में,

सीले थे घर के परदे मैंने।

अच्छे लोगों की मैं दोस्त हूँ,

बुरे लोगों से मैं दूर रहती हूँ।

इसके अलावा मैं बहुत मस्ती करती हूँ,

खुद चाहे दुखी रहूँ, दूसरों को हसती हूँ।

3.30 am, 3rd sept 2010.

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