क्या किया मैंने शनिवार को?
पूछते हैं लोग मुझे.
पूरे हफ्ते की थकान के बाद,
दो दिन गुज़र गए सोते -सोते.
याद है जाना था सहेली के जन्मदिन पर.
पर दर्द से फटा जा रहा था मेरा सर.
सो गयी रात के ग्याराह बजे शनिवार को,
जब नींद खुली तो देखा,
बज रहे थे घडी में शाम के,
दस मिनट पांच बज कर.
बिना किसी रोक टोक के,
सोयी रही मैं पूरे आठ्रह घंटे.
ऐसी बीतती हैं छुट्टी मेरी,
कट जाता है नाता मेरा पूरी दुनिया से.
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