अगले जनम अगर मैं मनुष्य बनी,
नहीं भेजना भगवन तुम मुझे और कहीं.
जब मैं अपनी नन्ही आखें खोलूं,
बिना जात-पात, भेद-भाव वाला भारत देखूं.
जब समझने लगूं दुनिया दारी को,
मान्यता मिले मेरी कामयाबी को.
जब लेने जाऊं दाखिला विश्वविद्यालय में,
ना देना पड़े अतिरिक्त दक्षिणा, अनारक्षित होने के वजह से.
ऐसे भारत को अगले जनम में पाऊं,
जहाँ हर किसान की पूजा हो.
ना करे वो ख़ुदकुशी क़र्ज़ के दर से,
उनकी कमाई हो ज्यादा हर किसी से.
अगले जनम जब किसी से प्यार करूँ,
मुझे ज़माने का दर ना हो.
उस समाज में ऐसे माता-पिता हो,
जिन्हें जात-बिरादरी से ज्यादा, बच्चो की ख़ुशी की चाह हो.
agley janam mein kyu issue janam mein milega aisa ladka.... :-)
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteसरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है। चूंकि कविता अनुभव पर आधारित है, इसलिए इसमें अद्भुत ताजगी है।
Agale janam me bhi hamsab facebook me dost honge.
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