करना तुम इंतज़ार मेरा,आउंगी मैं निकलते ही चाँद के.
छोड़ कर सब रिश्ते नाते, चल दूंगी मैं साथ तुम्हारे.
करूंगी नहीं कभी किसी बात की शिकायेत तुमसे,
ना ही कहूंगी की, "याद आते हैं मुझे मेरे अपने".
पल भर आंसू ही सही, पर ज़िंदगी का मेरा सपना है तुमसे.
निकल आया है चाँद आसमान पर,
रास्ते चांदनी से जगमग हैं.
मेरा सपना तुम्हारे साथ ज़िंदगी का,
अब कुछ ही पल में मुकम्मिल है.
छोड़ चली मैं अपनों को पीछे,चल रही हूँ चांदनी की राह में.
साथ मेरे चल रही है, सपने सुहावनी ज़िंदगी के.
इस आस में की, मिल जाओगे तुम, कहीं इंतज़ार मेरा करते हुए,
बस चलती जा रही हूँ, जहाँ तक चांदनी मुझे ले जाए.
जिस पल दीखोगे तुम मुझे, लग जाउंगी मैं गले तुम्हारे.
न्योछावर होगी यह ज़िंदगी तुम पर, मेरा जीवन होगा तुम्हारे लिए.
फ़ैल चुकी है चांदनी पूरे आसमान में,धरा पर जुगनुओ से भी रौशनी है.
मैं अकेली चली जा रही हूँ,साथ में चल रहा मेरा सपना है.
क्यूँ हो रही है थकान मुझे?
रुक क्यूँ गयी हूँ मैं?
क्यूँ नहीं दीखता मुझे कोई?
मेरा सपना भी मेरे साथ नहीं है.
मैं तो चल पड़ी थी मिलने को तुमसे, पर तुम नहीं आये वादा करके मुझसे.
आंसुओ को बहने से ना रोक पा रही हूँ, पीछे मुड़ कर जा नहीं पाती.
करके मैं एभारोसा तुमपर, रुलाया अपने साथ अपनों को भी.
चांदनी हट रही है आसमान से, मैं हूँ अब भी वाही खडी,
कहाँ गया सपना साथ छोड़ कर मेरा?
इंतज़ार करुँगी, फिर से चांदनी रात की.
6.45 am.
22 april 2009
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