Sunday, June 27, 2010

जब तक मेरा दिल धडके मेरे दिल में ही रहो ।

सुबह -सुबह उनके दर्शन मैं करती हूँ,
नहीं चाहती मैं किसी और को देखूं।
आसन से चलकर मेरे मन में आ बसों,
जब तक मेरा दिल धडके मेरे दिल में ही रहो
मेरे अशांत मन को अपनी महिमा से शांत करो,
आंसू भरी मेरी दोनों आखों को,
खुद अपनी हाथों से पोछो.
दुनिया में बहुत भक्त होंगे आपके,
मैं भी तो एक भक्त हूँ उन सब में।
1.55 a.m
20th april 2010.

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