Wednesday, June 23, 2010

बहुत दिनों के बाद गीत गुनगुना रही हूँ.

आज मैं बहुत खुश हूँ, बहुत दिनों के बाद गीत गुनगुना रही हूँ.
अनजान हूँ ख़ुशी के वजह से, मोहब्बत सी हो गयी है इस जहाँ से.
थिरकते हैं पाओ मेरे गीत के धुन पर,
मनन करता है उड़ जाऊं ज़मीन से फलक तक.
कोशिश में हूँ जान ने की वजह ख़ुशी की,
शयेद आया है कोई करती थी मैं इंतज़ार जिसकी.
यह एहसास देता है दिल को सुकून बहुत,
काश वो भी कर ले मेरी इस बात को महसूस.
नहीं करता है मनन उससे दूर जाने का,
नाही उसे जाने देने का.
पता है मुझे, बना नहीं है वो मेरे लिए, ना ही मैं उसके लिए.
फिर भी रहेगा मेरा प्यार शाश्वत हमेशा के लिए.
23rd
march

2 comments:

  1. पता है मुझे, बना नहीं है वो मेरे लिए, ना ही मैं उसके लिए.
    फिर भी रहेगा मेरा प्यार शाश्वत हमेशा के लिए.

    bahut umda rachna...

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