Saturday, June 26, 2010

सोचा था नहीं करुँगी याद

ना चाहते हुए भी आती है पुराणी बातें याद,
यादें जो छोड़ चुकी है, एक गहरी दाग.
सोचा था नहीं करुँगी याद ऐसी कोई भी बात,
जो बिताई थी तुम्हारे साथ.

देती हूँ सलाह दूसरों को,
की आसान है भुलाना बीते बातो को,
पर क्या पता यह उनको?
की हम भी कभी कभी करते हैं याद उन लम्हों को.

था पूरा यकीं मुझे खुद पर,
भुलाने के लिए चाहिए थे कुछ पल.
पर कुछ घाव इतने गहरे होतें हैं की,
छोड़ जाते हैं दाग ज़िंदगी भर.
9.30 pm
23rd nov 2009

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