Sunday, June 27, 2010

मुझे ना छुना चांदनी,

मुझे ना छुना चांदनी, मुझ पर हक़ है मेरे महबूब की।
भिगोना नहीं अपने जल से ऐ काले बदल,
दिख गए गर वो, शर्म से हो जाउंगी मैं जल जल।
ठंडी हवा ना उड़ना मेरे केसुओ को,
वर्ना मिल जायेगा उन्हें मौका छूने का इनको।
नहीं चाहती मैं, चिड़ियाँ तुम चेह्चाहाओ इतना,
की मिल जाये पास आके, उनके बात करने का बहाना।
बिजली तुम तेज़ ना कड़कना,
बदल ज़रा धीरे गरजना,
डर लगता है मुझे तुमसे,
पड़ ना जाये तुम्हारे गर्जन से, मुझे उनके बाँहों में जाना।
मैं तो चाहती हूँ वो खुद आये मेरे पास,
अपनी मोहक बातों से, दिलाये मुझे प्यार का एहसास।
३.३० ऍम
16th april 2010.

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