Sunday, February 7, 2010

नहीं भाती मुझे पल भर की ख़ुशी.

नहीं भाती मुझे पल भर की ख़ुशी,
जो दिलाती हो कुछ महीनो की ख्याति.
देना मुझे भगवान् उतना ही,
किस्मत में है जितनी मेरी.

कभी इतनी ख़ुशी देते हो,
की डर लगता है मुझको.
पता नहीं किस पल छीन लो,
लगता है मेरे साथ आप कभी खेलते हो.

मेरी प्रार्थना हमेशा येही रही है,
देना उतना ही जितना मेरे लिए है,
कोई लोभ नहीं है मुझे ज्यादा की,
जो भी दिया है, वापस उसे कृपया लेना नहीं.

मुझे हर बार आपने खुद से दूर रखा था,
पता है कई लोग मुझसे भी दूर थे,
अगर इसी दूरी को बनाये रखना था तो?
पल भर के लिए पास क्यूँ बुलाया था?
5.30 pm
27th Jan 2010.

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